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भस्मक रोग (भूख का अधिक लगना) : (Over Eating) रोग के कारण,और चिकित्सा,

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🌿संक्षिप्त परिचय : शरीर के अनुपात से अधिक खाना या बार-बार खाना और अधिक खाना खाने के बाद भी भूख का शांत होना भस्मक रोग कहलाता है। अधिक सू...

🌿संक्षिप्त परिचय : शरीर के अनुपात से अधिक खाना या बार-बार खाना और अधिक खाना खाने के बाद भी भूख का शांत होना भस्मक रोग कहलाता है।

अधिक सूखे भोजन करने से शरीर में मौजूद धातु कुपित होकर पित्त को बढ़ा देता है जिससे जठराग्नि (पाचन क्रिया) अत्यंत बढ़कर भोजन को थोड़ी देर में जला देती है जिससे खाना अधिक करने के बाद भी भूख लगती रहती है और अधिक भोजन करने के बाद भी शरीर में अन्न नहीं लगता है।

🍃विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों से उपचार :

1. बेर : बेर के बीजों का चूर्ण 3-3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम ताजे पानी के साथ नियमित रूप से सेवन करने से भस्मक रोग ठीक होता है। बेर के बीजों की मींगी 20 ग्राम को पानी में अच्छी तरह घोटकर पीने से भूख का अधिक लगना कम होता है और अग्निमांद्य सामान्य बनता है।

2. आंवला : सूखे आंवले का चूर्ण 3 से 10 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम सेवन से अग्निमांद्य कम होती है।

3. चित्रक और चीता : चित्रक और चीता की जड़ का रस आधे से 2 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम छाछ के साथ सेवन करने से भूख का अधिक लगना कम होता है। इसका उपयोग गर्भावस्था के दौरान न करें। इस योग में प्रत्येक मात्रा में एक गुलाब का फूल
पीसकर मिला देने से चित्रक का लीवर पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।

4. छोटी इलायची : छोटी इलायची का चूर्ण लगभग एक ग्राम के चौथाई भाग की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से पेट की अग्नि शांत होती है।

5. बड़ी गोखरू : बड़ी गोखरू की पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से भूख का अधिक लगना कम होता है।

6. पित्तपापड़ा : पित्तपापड़ा के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा बनाकर 25 से 50 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से पाचनतंत्र की अधिकता कम होता है।

7. सीताफल : सीताफल की सब्जी बनाकर प्रतिदिन सेवन से भस्मक रोग में लाभ मिलता है।

8. सहजन : सहजन के पत्तों के 10 मिलीलीटर रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से भस्मक रोग ठीक होता है।

9. भैंस का दूध : भैंस का दूध घी में मिलाकर पीने से भस्मक रोग में आराम मिलता है।

10. सफेद चावल : सफेद चावल और सफेद कमल को बकरी के दूध में डालकर खीर बनाकर सेवन करने से भूख का अधिक लगना कम होता है। 100 ग्राम सफेद चावल को 500 मिलीलीटर ऊंटनी के दूध में डालकर खीर बना लें और इसमें घी मिलाकर खाएं। इसका सेवन लगभग 12 दिनों तक करने से पेट की अग्नि शांत होकर भूख का अधिक लगना कम हो जाता है।

11. बिदारीकन्द : बिदरीकन्द के फल के रस में घी व दूध मिलाकर पीने से भस्मक रोग ठीक होता है।

12. चिरचिटा : दूध से बने खीर में चिरचिटे का बीज मिलाकर खाने से भास्मक रोग मिटता है।

13. गूलर : 10 ग्राम गूलर की छाल को पीसकर स्त्री के दूध में मिलाकर भस्मक रोग से पीड़ित बच्चे को खिलाने से भूख का अधिक लगना शांत होता है। भस्मक रोग से पीड़ित रोगी को गूलर की जड़ का रस चीनी मिलाकर पिलाना चाहिए।

14. सालपर्णी : सालपर्णी और अर्जुन की जड़ बराबर मात्रा में पीसकर सेवन करने से भस्मक रोग ठीक होता है।

15. पृष्ठपर्णी : पृष्ठपर्णी और पीपल का चूर्ण बनाकर दूध के साथ खाने से भूख का अधिक लगना कम होता है।

16. नारियल : नारियल की जड़ का चूर्ण दूध के साथ लेने से अग्निमांद्य सामान्य बनती है।

17. सालवन : सालवन और पिठवन को दूध में पकाकर इसमें घी व शहद मिलाकर पीने से भूख नहीं लगती।

18. चना : रात को पानी में चना भिगोकर रख दें और सुबह इसका पानी पीएं। इससे भस्मक रोग ठीक होता है।

19. कसेरू : कसेरू, कमल की जड़, गन्ने की जड़, कमल की डंडी, दूध, घी और दूब मिलाकर पीस लें और लगभग एक महीने तक इसका सेवन करें। इससे भूख शांत होती है।

20. उड़द : उड़द, जौ, कुल्थी और डाब की जड़ को एक साथ पीसकर दूध व घी के साथ पीएं। इसके सेवन से भूख का अधिक लगना कम होता है।

21. अजमोद : अजमोद के चूर्ण में दूध व घी मिलाकर खाने से पाचनक्रिया मंद होती है ।

22. सौंफ : 30 ग्राम सौंफ का रस 2-3 बार दही के साथ मिलाकर देने से संग्रहणी (पेचिश), अतिसार (दस्त), आमदोष और समस्त रोग पाचन संस्थान के दूर होता है।

23. आक का दूध : आक का दूध 125 से 250 मिलीलीटर तक दिन में 4 बार सेवन करने से संग्रहणी (पेचिश) अतिसार (दस्त) रोग दूर होता है। इससे भूख का अधिक लगना कम होता है।

24. कालीमिर्च : कालीमिर्च को पीसकर 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ लेने से भस्मक रोग ठीक होता है।

25. सोंठ : सोंठ, पीपल और भांग का बीज पीसकर 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लेने से पाचनक्रिया की बड़बड़ी दूर होती है। सोंठ व अजवायन 20-20 ग्राम और नौसदर 5 ग्राम को एक साथ पीसकर नींबू के रस में मिलाकर सुखा लें। इसके बाद इसे पीसकर 2-2 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें।

26. मीठा सोडा : 5 ग्राम मीठा सोडा खाना-खाने के 1 घंटे पहले 1 कप गर्म पानी के साथ घोलकर प्रतिदिन सेवन करने से भस्मक रोग ठीक होता है।

27. कलौंजी : 50 ग्राम कलौंजी को सिरके में रात को भिगो दें और सुबह से सुखाकर पीसकर शहद मिलाकर 4-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करें।

28. कपदर्क भस्म : लगभग आधा ग्राम कपर्दक भस्म, पीपला की जड़ का चूर्ण एक ग्राम मिलाकर शहद व गर्म पानी के साथ लेने से भस्मक रोग ठीक होता है।

29. विदारीकन्द : भस्मक रोग से पीड़ित रोगी को 250 मिलीलीटर दूध में 10 ग्राम विदारीकन्द का रस मिलाकर उबालकर पीने से भस्मक रोग दूर होता है।
10 मिलीलीटर विदारीकन्द के रस में 10 ग्राम भैंस
का घी मिलाकर पिलाने पीने से अतिक्षुधा (भस्मक
रोग) ठीक होता है।

30. केला : घी में केले पकाकर खाने से भस्मक रोग दूर होता है। पका हुआ केला 50 ग्राम घी मिलाकर प्रतिदिन खाने से भूख का अधिक लगना कम होता है।

31. अपामार्ग : भस्मक रोग में बहुत भूख लगने के बाद भी शरीर पतला व कमजोर बना रहता है। उसमें अपामार्ग के बीजों का चूर्ण 3 ग्राम दिन में 2 बार सेवन करने से निश्चित रूप से भस्मक रोग ठीक हो जाता है।
अपामार्ग का 5-10 ग्राम बीज को पीसकर खीर
बनाकर अतिक्षुधा रोग से पीड़ित रोगी को खिलाने से लाभ होता है। अपामार्ग के बीजों का चूर्ण और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-
शाम पानी के साथ प्रयोग करने से भस्मक रोग ठीक
होता है।

नाम

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