🌻 संक्षिप्त परिचय : मल जब सूखकर मलद्वार से बाहर न निकलकर आंतों में रुक जाता है तो उसे पेट का फूलना या आनाह कहते हैं। ...
🌻संक्षिप्त परिचय : मल जब सूखकर मलद्वार से बाहर न निकलकर आंतों में रुक जाता है तो उसे पेट का फूलना या आनाह कहते हैं।
🌻रोग के कारण : गलत खान- पान के कारण पेट फूलने की बीमारी उत्पन्न होती है। यह रोग कई कारणों से होता है, जैसे- बार- बार मल-मूत्र के लिए जाना , छींक का
आना , भूख व प्यास अधिक लगना , जंभाई , डकारे, अपान वायु , सांस लेने में कष्ट होना और नींद न आदि।
🌻रोग के लक्षण : पेट फूलने पर खांसी , जुकाम , आमाशय का दर्द, हृदय का दर्द , हृदय की जकड़न, डकार
का बंद हो जाना, सिर दर्द और शरीर में भारीपन महसूस होना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं।
🌻विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों से उपचार :
1. हरड़ : हरड़ 10ग्राम, छोटी पीपल 10 ग्राम और निशोथ 10 ग्राम को लेकर पीसकर थूहर के दूध में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर प्रतिदिन सुबह 1 या 2 गोली खाने से पेट का फूलना और कब्ज
दूर होती है।
2. पीपल : पीपल, अतीस, बच, हरड़, चीते की जड़ की छाल, जवाखार और कूठ को पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 2 से 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पेट का फूलना समाप्त होता है।
3. लाल कचनार : लाल कचनार की जड़ और 3 ग्राम अजवायन का चूर्ण मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से पेट का फूलना बन्द होता है।
4. छाछ : सोंठ, कालीमिर्च, पीपल और कालानमक बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इसे छाछ में डालकर पीने से पेट का भारीपन और अजीर्ण रोग समाप्त हो जाता है।
5. सौंफ : 100 ग्राम सौंफ को नींबू के रस में मिलाकर शीशी में भरकर रखें। इस सौंफ को भोजन के बाद थोड़ा-।थोड़ा खाने से पाचनक्रिया तेज होती है और पेट
का भारीपन व बेचैनी समाप्त होती है। रात को एक चम्मच सौंफ आधे कप पानी में भिगों दें और सुबह सौंफ को मसलकर छान लें। इस पानी को दूध में मिलाकर पिलाने से बच्चों को पेट फूलना, गैस
बनना और पेट दर्द दूर होता है।
6. सुहागा : तवे पर सेंका हुआ सुहागा बच्चे को खिलाने पेट का फूलना समाप्त होता है।
7. एरण्ड : एरण्ड की जड़ 20 से 50 ग्राम को धोकर कूटकर 200 मिलीलीटर पानी में पकाएं और जब केवल 50 मिलीलीटर पानी शेष रह जाए तो इसका सेवन करें। इससे पेट का फूलना व बढ़ना समाप्त होता है।
8. तेजपात : तेजपत्ते का काढ़ा रोगी को पिलाने से पसीना आता है और आंतों की खराबी से पेट का फूलना ठीक होता है।