$type=ticker$count=12$cols=4$cate=0$sn=0

जिगर का रोग आयुर्वेदिक चिकित्सा : (Herbal Remedy for Liver Disease)

SHARE:

यकृत रोग से बहुत से लोग पीड़ित हैं। इस रोग में कई प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं, जैसे- यकृत कड़ा होना, आकार में कुछ बड़ा हो जाना, दबाने से दर्द होना, दस्त का रुक जाना, जीभ पर सफेदी और मैल जमा होना, सिर में दर्द होना, अरूचि, अपच, मदाग्नि, दस्त के साथ आंव आना , पेट फूलना और पेट में दर्द होना आदि। यह रोग बच्चों के लिए अधिक परेशानी युक्त होता है। 2 से 5 वर्ष तक के बच्चे इस रोग से अधिक परेशान होते हैं। कुछ लोगों को यकृत, प्लीहा रोग के कारण पीलिया रोग भी हो जाता है और आंखों में पीलापन आ जाता है।

विवरण : जिगर शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि होती है जिसमें शरीर के लिए गुणकारी पाचक रस (एन्जाइम) पित्त की उत्पत्ति होती है। जब किसी कारण से जिगर में कोई बीमारी हो जाती है तो शरीर में कई प्रकार के रोग उत्पन्न होने लगते हैं। जिगर के रोग से पीड़ित रोगी की चिकित्सा समय पर न होने और भोजन में लापरवाही रखने से मुत्यु भी हो सकती है।

निदान(Diagnosis) :
जिगर के रोग होने के कई कारण होते हैं जैसे- अनियमित और अधिक घी , तेल, मिर्च -मसालेदार भोजन करना, अम्ल रसों का सेवन करना आदि। जो व्यक्ति अधिक शराब और सिगरेट पीता है वह यकृत (जिगर) रोग से अधिक पीड़ित होते हैं। आइसक्रीम, चॉकलेट, मिठाई आदि खाने से बच्चों का जिगर जल्दी खराब हो जाता है। बासी भोजन भी यकृत को बहुत हानि पहुंचाती है। अधिक मात्रा में खाने और शारीरिक कार्य न करने वाले किशोर में भी यकृत की बिमारी होती है। आन्तों में कृमि होने पर भी किशोर यकृत की बीमारी से पीड़ित हो जाते हैं। कुछ संक्रमक रोगों के होने पर भी यकृत बढ़ जाता है। बच्चों को मलेरिया होने पर भी यकृत बढ़ जाता है।
लक्षण(Symptoms) :
यकृत रोग से बहुत से लोग पीड़ित हैं। इस रोग में कई प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं, जैसे- यकृत कड़ा होना, आकार में कुछ बड़ा हो जाना, दबाने से दर्द होना, दस्त का रुक जाना, जीभ पर सफेदी और मैल जमा होना, सिर में दर्द होना, अरूचि, अपच, मदाग्नि, दस्त के साथ आंव आना , पेट फूलना और पेट में दर्द होना आदि। यह रोग बच्चों के लिए अधिक परेशानी युक्त होता है। 2 से 5 वर्ष तक के बच्चे इस रोग से अधिक परेशान होते हैं। कुछ लोगों को यकृत, प्लीहा रोग के कारण पीलिया रोग भी हो जाता है और आंखों में पीलापन आ जाता है। जिगर में सूजन पेट की खराबी या कब्ज से होती है। इस रोग में भूख कम हो जाती है, खून भी बनना कम हो जाता है, रोगी का शरीर पीला होने लगता है, सुस्ती आना लगती है तथा काम में मन नहीं लगता है। रोगी की ऐसी स्थिति में खान-पान पर पूरा ध्यान देना चाहिए। रोगी अधिक दुर्बल न हो पाए इसके लिए सबसे पहले कब्ज दूर करने का उपाय करना चाहिए।

विभिन्न औषधियों से उपचार :

1. गोमूत्र : 20 मिलीलीटर ताजे गोमूत्र को कपड़े से छानकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से यकृत (जिगर) की सूजन दूर होती है।

2. सोंठ : सोंठ, पीपल, चित्रक मूल, बायविडंग और दंतीमूल 10-10 ग्राम एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 50 ग्राम हरड़ का चूर्ण मिलाकर 3-3 ग्राम सुबह-शाम गर्म पानी के साथ सेवन करने से यकृत रोग में लाभ मिलता है।

3. केला : एक पके केले में कच्चे पपीते का दूध 7-8 बूंद डालकर खाना- खाने के बाद सेवन करने से यकृत का बढ़ना ठीक होता है।

4. अपरजिता : अपरजिता के बीजों को भूनकर पीसकर चूर्ण बनाकर 3-3 ग्राम चूर्ण हल्के गर्म पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से यकृत वृद्धि ठीक होती है।

5. जंगली गूलर : जंगली गूलर की जड़ की छाल 10 ग्राम पीसकर गाय के मूत्र में मिलाकर 25 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से यकृत का बढ़ना ठीक होता है।

6. भांगरा : 10 मिलीलीटर भांगरे का रस और 2 ग्राम अजवायन का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से जिगर का बढ़ना ठीक होता है।

7. मकोय : मकोय के 25 मिलीलीटर रस को हल्का गर्म करके यकृत के ऊपर लेप करने से यकृत की सूजन दूर होती है।

8. जामुन : जामुन के पत्तों का रस निकालकर 5 मिलीलीटर की मात्रा में कुछ दिनों तक सेवन करने से यकृत वृद्धि ठीक होती है। 200-300 ग्राम बढ़िया पके जामुन प्रतिदिन खाली पेट खाने से जिगर की खराबी दूर होती है।
9. आंवला : 4 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण या 25 ग्राम आंवले का रस 150 मिलीलीटर पानी में अच्छी तरह मिलाकर दिन में 4 बार सेवन करने से जिगर का रोग समाप्त होता है।

10. हरड़ : बड़ी हरड़ को पीसकर पुराने गुड़ में मिलाकर 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर सुखा लें। यह 1-1 गोली सुबह-शाम सेवन करने से 30-40 दिनों में यकृत की सूजन दूर हो जाती है।

11. पपीता : पपीते के बीजों को सुखाकर बारीक चूर्ण बना लें और इसमें से 3 ग्राम चूर्ण आधे नीबू के रस में मिलाकर सेवन करें। दिन में 2 बार इस चूर्ण का सेवन करने से यकृत की बीमारी ठीक होती है।

12. चित्रकमूल :
चित्रकमूल और सोंठ 3-3 ग्राम लेकर रात को पानी में भिगो दें और सुबह इसे पीसकर इसी पानी में मिलाकर सेवन करें। इससे जिगर (यकृत) का रोग दूर होता है।

13. छोटी पीपल : छोटी पीपल, चित्रकमूल की छाल, शालपर्णी, गिलोय, वासा (अडूसा) की जड़, ताल वृक्ष की जटा का क्षार, अपामार्ग का क्षार और पुराना मानकन्द बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें और इसे 64 गुने गाय के मूत्र के साथ पकाएं। जब यह गाढ़ा हो जाए तो इसमें शहद मिलाकर 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली प्रतिदिन सेवन करने से यकृत का बढ़ना ठीक होता है। छोटी पीपल को गुलाब के रस में पीसकर बच्चों को पिलाने से प्लीहा व यकृत की वृद्धि ठीक होती है।

14. मानकन्द : 10 ग्राम मानकन्द का चूर्ण, 20 ग्राम चावल, 200 मिलीलीटर गाय का दूध, 200 मिलीलीटर पानी लेकर खीर बनाकर प्रतिदिन सेवन करने से पेट की गैस, सूजन, पीलिया आदि रोग ठीक होता है।

15. त्रिकुट: त्रिकुट, त्रिफला, शुद्ध गन्धक, सुहागा, मुलहठी, हल्दी, करंज के बीज और शुद्ध जमालगोटा बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। अब सबसे पहले पारद्र-गन्धक की कज्जली करें और फिर इसमें सभी द्रव्यों का बरीक चूर्ण मिलाकर भांगरे के रस के साथ लगातार 3 दिनों तक भिगोकर रखें। इसके बाद इसकी उड़द के सामान
गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें और 1-1 गोलियां रोग के अनुसार खाना-खाने के बाद लें। इससे यकृत का बढ़ना व अन्य रोग ठीक हो जाता है।

16. गिलोय : गिलोय, अतीस, सोंठ, चिरायता, कालमेघ, नागरमोथा, छोटी पीपल, यवाक्षार, हराकसीस और चम्पा की छाल समान भाग लेकर कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 3-6 ग्राम की मात्रा में लेने से यकृत, प्लीहा, पीलिया, अग्निमांद्य, भूख का न लगना, पुराना बुखार आदि दूर होता है।

16. अमृतधारा : अमृतधारा (कपूर, पीपरमेंट और सत अजवायन) को सरसों के चौगुने तेल में मिलाकर जिगर-तिल्ली पर मालिश करने से यकृत की वृद्धि दूर होती है।

17. अजवायन : 2 ग्राम अजवायन और 1 ग्राम सोंठ को पीसकर एक कप पानी में रात को भिगो दें और सुबह उसी पानी में इसे मसलकर गर्म करके 15 दिन तक सेवन करने से यकृत की सूजन व दर्द ठीक होता है।

18. कागजी नींबू : एक पके कागजी नींबू को 2 टुकड़े करके इसका बीज निकालकर आधे नींबू के बिना काटे चार भाग करके एक भाग में कालीमिर्च का चूर्ण, दूसरे भाग में सेंधानमक, तीसरे में सोंठ का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण भर दें। इसके बाद इसे रात को प्लेट में रखकर औंस में रख दें। सुबह खाना-खाने से 1 घंटा पहले इस नींबू के फांक को हल्की आग पर गर्म करके चूसें। इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ मुंह का जायका भी ठीक होता है। इससे भूख बढ़ती, सिर दर्द व पुरानी कब्ज दूर होती है। इसका सेवन प्रतिदिन करने से यकृत के सभी रोग दूर होते हैं।

19. धनिया : धनिया, सोंठ एवं कालानमक का चूर्ण बनाकर दिन में 3 बार सेवन करने से बदहजमी व कब्ज दूर होती है। यह यकृत को शक्ति देता है और भूख बढ़ती है।

20. सेब : सेब के सेवन से यकृत को शक्ति मिलती है और रोग आदि में आराम मिलता है।

21. बथुआ : बथुआ, छाछ, लीची, अनार, जामुन, चुकन्दर और आलुबूखारा सेवन करने से यकृत को शक्ति मिलती है और कब्ज दूर होती है।

22. लौकी : लौकी को धीमी आग में सेंककर मसलकर रस निकाल लें और इस रस में मिश्री मिलाकर पीएं। इससे यकृत की बीमारी दूर होती है।

23. चावल : सूरज उगने से पहले उठकर मुंह साफ करके एक चुटकी कच्चे चावल की फांकी लेने से यकृत को मजबूती मिलती है।

24. नमक : आधा चम्मच सेंधानमक और 4 चम्मच राई पानी में डालकर यकृत वाले जगह पर 5 मिनट तक लेप करने से और फिर धोकर घी लगा देने से यकृत की सूजन व दर्द दूर होता है।

25. पान : पान के पत्ते पर तेल लगाकर गर्म करके यकृत की जगह पर बांधने से यकृत का दर्द दूर होता है।

26. पीपल : 15 ग्राम पिसी हुई पीपल को 100 ग्राम शहद में मिलाकर आधा चम्मच की मात्रा दिन में 2 बार मुंह में रखकर चूसने से यकृत (जिगर) का बढ़ना, मलेरिया, दमा, खांसी, बुखार, अपच (भोजन का न पचना), भूख न लगना, गैस आदि रोग दूर होता है। 4 पीपल के पत्तों के चूर्ण को आधा चम्मच शहद में डालकर प्रतिदिन चाटने से यकृत (जिगर) के रोग में आराम मिलता है और मोटापा भी घटता है।

27 : खरबूजा : खरबूजा के सेवन से यकृत के सूजन से छुटकारा मिलता है।

28. पपीता : पपीते के पत्तों की चाय बनाकर पीने से हृदय के रोग में लाभ मिलता है। पपीता पेट को साफ करता है और यकृत को शक्तिशाली बनाता है। छोटे बच्चे जिनका यकृत खराब रहता है उन्हें पपीता खिलाना चाहिए।

29. करेला : आधा चम्मच करेले का रस 3 से 6 वर्ष के बच्चे को प्रतिदिन देने से यकृत का रोग ठीक होता है और पेट साफ होता है।

30. तुलसी : 12 ग्राम तुलसी के पत्ते को एक गिलास पानी में उबालें और जब पानी एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर पीएं। इससे यकृत का बढ़ना और यकृत के अन्य रोगों में आराम मिलता है।

31. अमरबेल : अमरबेल को पानी के साथ पीसकर यकृत के ऊपर लेप करने से यकृत की सूजन मिटती है।

32. कटेरी : कटेरी को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर 10 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम पीने से यकृत की बीमारी दूर होती है।

33. हरड़ : 2 ग्राम बड़ी हरड़ का चूर्ण गुड़ के साथ सेवन करने से यकृत वृद्धि में आराम मिलता है।

34. गुलबनफशा : गुलबनफशा का काढ़ा बनाकर इसमें शहद और मिश्री मिलाकर पीने से यकृत की बमारी ठीक होती है।

35. जवाखार : जवाखार को छाछ के साथ सेवन करने से यकृत के बीमारी में आराम मिलता है।

36. आम : जिगर की कमजोरी में यदि पतले दस्त आते हों और भूख न लगती हो तो 6 ग्राम आम के सूखे पत्ते को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें और जब पानी केवल 125 मिलीलीटर शेष रह जाए तो इसे छानकर थोड़ा दूध मिलाकर पीएं। इसके सेवन से जिगर का रोग ठीक होता है।

37. मूली : मूली का रस और मकोय का रस मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से यकृति (जिगर) बढ़ने की बिमारी
समाप्त हो जाती है। मूली के एक ग्राम रस को सुबह छाछ के साथ औरशाम को ताजे पानी के साथ लेने से यकृत की दुर्बलता दूर होती है।

38. फिटकरी : एक बताशे में एक चुटकी पिसी हुई फिटकरी डालकर दिन में 3 बार सेवन करने से यकृत (जिगर) के रोग में लाभ मिलता है।

39. गाजर : यकृत रोगग्रस्त, पित्तदोष, गाजर का रस, गाजर का सूप या गाजर का गर्म काढ़ा सेवन कराने से लाभ होता है।
गाजर खाने से यकृत की बीमारी दूर होती है।

40. मेथी : यकृत की कार्यक्षामता में वृद्धि करने के लिए सुबह उबले हुए मेथी के बीजों को खाने से जिगर की बीमारी में आराम मिलता है और अपच दूर होता है।

41. ग्वारपाठा (घृतकुमारी) : 3 मिलीलीटर ग्वारपाठे के रस में सेंधानमक व समुद्री नमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से यकृत रोग ठीक होता है। घृतकुमारी के पत्तों के 2 मिलीलीटर रस को 1
ग्राम शहद में मिलाकर चीनी मिट्टी के बर्तन में रखकर बर्तन का मुंह बंद करके एक सप्ताह तक धूप में
रख दें। यह औषधि योग 10-20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से यकृत रोग (जिगर का रोग)
ठीक होता है। ध्यान रखें कि ग्वारपाठा का अधिक मात्रा सेवन करने से दस्त रोग हो सकता है परंतु उचित मात्रा में सेवन करने से मल एवं वात की प्रवृत्ति ठीक होती है।

42. नींबू : गुनगुने पानी में नींबू का रस और मिश्री मिलाकर सुबह चाय की तरह पीने से यकृत का रोग ठीक
होता है। यकृत (लीवर) और प्लीहा (तिल्ली) की बीमारी में भुनी हुई अजवायन और सेंधानमक को नींबू के रस में मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है। नींबू का रस और कालीमिर्च के चूर्ण को पानी में मिलाकर पीने से यकृत रोग में लाभ मिलता है।

43 अनार : यकृत रोगों में अनार का रस सेवन करना लाभकारी होता है।
नाम

अध्यात्म विशेष,1,अमरूद,1,अश्वगंधा,1,आंवला,1,आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी,1,आर्थराइटिस,1,एलर्जी,1,करौंदा,1,किडनी रोग,3,कैंसर,2,कोलस्ट्रोल,2,खजूर,1,गिलोय,1,गुंदा,1,टायफॉइड,1,टीबी,1,डायबिटीज,2,धर्म अध्यात्म,1,पथरी का इलाज,2,पुनर्नवा,1,पेट के रोग,13,फालसा,1,फूलगोभी,1,बच्चों के रोग,1,बेल,1,बैंगन,1,मधुमेह,1,माइग्रेन,2,मोटापा,3,मौसमी देखभाल,2,योग,1,यौन रोग,1,रिलेशनशिप,1,रोग और उपचार,21,लहसुन,1,लिवर के रोग,2,विटामिन,1,शहतूत,1,सिरदर्द,3,सौंफ,1,स्वास्थ्य पत्रिका,1,हाइपरथाइरॉइडिस्म,1,हेल्थकेयर,12,हेल्थटिप्स,26,हेल्थपेपर,5,Acidity,1,Adhyatmik special,1,Alergy,1,Almond,2,Alsi,1,Animal-Insect,2,Anola,1,Arthritis,2,Asthama,1,Beans,1,Beauticare,2,Beautycare,16,Blackpaper,1,Blood pressure,5,Bodycare,1,Bottle gourd,1,Braincare,4,Brinjal,2,Broccoli,1,Brussel Sprout,1,Cancer,5,Cauliflower,1,Childcare,3,Chilli,1,Cholestrol,1,Coconut,2,Cold,1,Colostral,1,Coriander,2,Crane Berry,1,Dates,1,Dental cure,1,Dharma adhyatm,1,Diabetes,3,Diebets,7,Dieting,2,digestion,1,Diseases and Cure,41,Egg,1,Eyecare,3,Facecare,3,Feetcare,2,Fennel,1,Fenugreek,1,Fever,2,Fish,1,Fruits,1,Garlic,3,Gastritis,1,Gharelu nuskhe,4,Giloye,1,Ginger,3,Grapes,1,Green Tea,1,Guava,1,Gym and workout,1,Haircare,7,Headache,3,Health paper,7,Healthcare,10,Healthnature,98,Healthpathic,59,Healthy foods,27,Healthy tips,80,Heart attack,1,Heartcare,1,Herbal,1,Herbal plants,26,Herbals,2,Hyperthyroidism,1,kidney Disease,3,Kidney stones,3,Kids disease,2,Kismis,1,Lemon,1,Leukoderma,1,Lifestyle,3,Lipscare,2,Liver Disease,3,Mango,1,Micro nutrients,1,Migrane,2,Mint,1,Mouthcare,2,Nailcare,1,Naturopathy,1,Neem,2,Nosecare,1,Nuts,1,Onion,3,Opacity,1,Orange,1,Papaya,1,Parenting,1,Peepal,1,Pregnancy,5,Punararva,1,Relationship,2,Relationship tips,1,Rennet,1,Seasonal foods,1,Seasoncare,2,Selery,1,Sexual health,1,Skin care,7,Spinach,1,Stomach Disease,15,Sweet potato,1,Teethcare,2,Thyphoid,1,Tuberculosis,1,Turmeric,2,Uric acid,2,Vitamin,4,Weight loss,12,Women care,7,Yoga,7,
ltr
item
HealthNature ◊ जियो हर्बल लाईफ | Health News | MyUpchar | Deshi Nuskhe: जिगर का रोग आयुर्वेदिक चिकित्सा : (Herbal Remedy for Liver Disease)
जिगर का रोग आयुर्वेदिक चिकित्सा : (Herbal Remedy for Liver Disease)
यकृत रोग से बहुत से लोग पीड़ित हैं। इस रोग में कई प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं, जैसे- यकृत कड़ा होना, आकार में कुछ बड़ा हो जाना, दबाने से दर्द होना, दस्त का रुक जाना, जीभ पर सफेदी और मैल जमा होना, सिर में दर्द होना, अरूचि, अपच, मदाग्नि, दस्त के साथ आंव आना , पेट फूलना और पेट में दर्द होना आदि। यह रोग बच्चों के लिए अधिक परेशानी युक्त होता है। 2 से 5 वर्ष तक के बच्चे इस रोग से अधिक परेशान होते हैं। कुछ लोगों को यकृत, प्लीहा रोग के कारण पीलिया रोग भी हो जाता है और आंखों में पीलापन आ जाता है।
https://3.bp.blogspot.com/-ZExoDHx3dMQ/WPShrCdDg3I/AAAAAAABQrI/CO0rAA2eqdIIVGCdqWDwrVDUDpSsmIkeQCLcB/s640/Herbal-Remedies-For-Liver-Disease.jpg
https://3.bp.blogspot.com/-ZExoDHx3dMQ/WPShrCdDg3I/AAAAAAABQrI/CO0rAA2eqdIIVGCdqWDwrVDUDpSsmIkeQCLcB/s72-c/Herbal-Remedies-For-Liver-Disease.jpg
HealthNature ◊ जियो हर्बल लाईफ | Health News | MyUpchar | Deshi Nuskhe
https://jio.mobilesathi.com/2017/04/herbal-remedy-for-liver-disease.html
https://jio.mobilesathi.com/
https://jio.mobilesathi.com/
https://jio.mobilesathi.com/2017/04/herbal-remedy-for-liver-disease.html
true
853531608981127818
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content